Pahalgam : एक युद्ध से पूरा नहीं होगा पहलगाम का बदला

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पहलगाम (Pahalgam) में हुआ आतंकी हमला भारत को चुनौती है। इसका जवाब देना होगा, लेकिन इस तरह कि पाकिस्तान (Pakistan) के सीने पर अनगिनत जख्म बन जाएं।

मई की पहली सुबह। पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (CAA) ने एक नोटिस जारी किया - कराची और लाहौर की फ्लाइट इंफॉर्मेशन रीजन (FIR) हर रोज 4 से 8 बजे तक बंद रहेंगी। कारण? सुरक्षा!

आमतौर पर ऐसा तभी होता है जब आसमान में हलचल की आशंका हो। और इस बार डर भारत से है। वजह है 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ वह दिल दहला देने वाला आतंकी हमला (Pahalgam Terrorist Attack), जिसमें 26 बेगुनाह भारतीय मारे गए।

पाकिस्तान को डर है कि भारत चुप नहीं बैठेगा। और भारत... वह अब चुप रहने के मूड में नहीं दिखता। पर क्या भारत को अब पारंपरिक युद्ध छेड़ देना चाहिए या फिर कोई और रास्ता है - धीमा लेकिन बेहद असरदार?

1947, 1965, 1971 और 1999 - हर युद्ध में भारत विजयी रहा। फिर भी पाकिस्तान के साथ शांति एक मृगतृष्णा बनी हुई है। क्या यह सिर्फ सीमाओं का झगड़ा है? नहीं, यह झगड़ा उस जहरीली विचारधारा का है जो पाकिस्तान के निर्माण के साथ पैदा हुई - भारत और हिंदुओं के खिलाफ नफरत की विचारधारा।

और इसी नफरत को पाकिस्तान ने हथियार बनाया - कभी कश्मीर में, कभी पंजाब में, कभी मुंबई में और अब पहलगाम (Pahalgam) में। लेकिन अब वक्त है कि भारत सिर्फ बदला लेने की भावना से नहीं, समस्या के स्थायी समाधान के लिए आगे बढ़े। 

एक युद्ध पहलगाम (Pahalgam) का बदला नहीं हो सकता, दुश्मन को अबकी बार सैकड़ों जख्म देने होंगे। 

पाकिस्तान (Pakistan) को कोई मौका नहीं देना है

पहलगाम (Pahalgam) को लेकर सीधी जंग में पाकिस्तान का हारना तय है, यह बात दुनिया को युद्ध शुरू होने से पहले से पता है। यही वजह है कि पाकिस्तान घूम-घूमकर दुहाई मांग रहा है कि भारत पर तनाव कम करने का दबाव डाला जाए।

पाकिस्तान (Pakistan) की जियो-पॉलिटिकल पोजिशन ऐसी है कि अमेरिका-चीन जैसे देश उसे डूबने नहीं देते। वह बेहोश होता है, लेकिन फिर कर्ज की ऑक्सीजन मिल जाती है। 

भारत को ऐसा जवाब देना होगा, जिससे उसकी बेहोशी लंबी हो जाए। राजनीतिक, आर्थिक, कूटनीतिक और वैचारिक - पहलगाम (Pahalgam) का जवाब हर मोर्चे पर होना चाहिए।

पाकिस्तान में सत्ता सेना के हाथ में है। सरकार का कोई मतलब वहां नहीं है। आम जनता भूख और असुरक्षा की शिकार है। आटा 300 रु किलो, डॉलर 250 से ऊपर, पेट्रोल सब्सिडी पर भी पहुंच के बाहर।

इस गरीबी के बावजूद पाकिस्तान आर्मी (Pakistani Army) अब भी अपनी जमीन और विचारधारा बचाने की बात करती है। सेना प्रमुख असीम मुनीर खुले मंच से भारत के खिलाफ जहर उगलते हैं। 

ऐसे दिवालिया देश के खिलाफ भारत अगर चौतरफा दबाव बनाए, तो उसका टूटना तय है। 

आज पाकिस्तान खुद अपने भीतर से दरक रहा है, तब भारत के पास मौका है कि वह इतिहास का सारा बदला निकाल ले। 

भारत को क्या करना चाहिए? 

Balochistan और Sindh में विद्रोही ताकतों को नैतिक समर्थन : वहां पहले से विरोध है, भारत को केवल उसे वैचारिक और रणनीतिक समर्थन देना है। इससे पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता हिलेगी। 

कूटनीतिक हमला : पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करना होगा। FATF जैसी संस्थाओं में उनकी असलियत उजागर होनी चाहिए। पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी विचारधारा है, जो अब एक राष्ट्रीय भ्रम बन चुकी है। भारत विरोधी भावना ही पाकिस्तान का वैचारिक आधार है। भारत को वैश्विक मंचों पर बार-बार यह दिखाना चाहिए कि कैसे पाकिस्तान आतंकवाद को एक राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल करता है।

विश्व मंच पर बेनकाब : भारत को अब केवल पश्चिमी ताकतों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि मिडल ईस्ट, सेंट्रल एशिया, अफ्रीका और ASEAN देशों के साथ भी ऐसे कूटनीतिक रिश्ते बनाने चाहिए जो पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अकेला छोड़ दें।

आर्थिक दबाव : जो थोड़ा-बहुत व्यापार बचा है, उसे भी रोक देना चाहिए। भारत से ट्रांजिट या बाजार का कोई लाभ उन्हें नहीं मिलना चाहिए। जल संधियों की समीक्षा हो, ऊर्जा आपूर्ति की निगरानी हो और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में पाकिस्तान को आर्थिक सहायता रोकने की वकालत की जाए। सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) जैसे और कदम उठाए जाएं।

Cyber और Information Warfare : पाकिस्तान की फर्जी नैरेटिव्स और प्रोपेगेंडा को जवाब देना जरूरी है। सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए सच फैलाना होगा। भारत को कश्मीर, हिंदू-विरोध और अल्पसंख्यक उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान की दोहरी नीति को बेनकाब करना चाहिए। 

सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike) : पूरी तरह से तैयारी रहे, लेकिन पहले हमला न हो। जरूरत पड़े तो precision strikes हो सकते हैं, जैसे 2016 में उरी के बाद हुआ।

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